Monday, 10 August 2020

सदा खुश रहने की स्वतंत्रता


आपको स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें. क्या आप भी उन्हीं देवियों और सज्जनों में हैं जिसकी दुनिया में कोई नहीं सुनता, इस पावन अवसर पर आज कुछ आपकी और अपनी कहते हैं और करते हैं बात सदैव प्रसन्न रहने की. जब बार-बार समझाने पर भी आपकी बात कोई नहीं सुनता तो स्वीकार करना ही बेहतर है की आप के कहने से वो बदलने वाला नहीं है. इसको ऐसे देखिये कि कुछ लोग वक्त की ठोकरें खा कर ही सीखने को अभिशप्त होते हैं या वे आपकी योग्यता को ही संदेह से देखते हैं.

सच यही है कि आप तभी किसी के लिए कुछ कर सकते हैं जब स्वयं कोई चाहे, वर्ना दूसरों को सुधारने में ही आपकी जिंदगी कहीं बेमायना होकर रह जायेगी और वैसे भी दुनिया चढ़ते सूरज को सलाम करती है और लोग आप को गलत कहने के ढेरों बहाने ढूंढ ही लेंगे. आपके हिस्से में रह जायेंगी कुछ अदद बीमारियाँ और ये जिंदगी, जिसे जिंदगी कहना शायद जिंदगी की तौहीन होगा.

वास्तव में आप यदि आप ऐसी किसी तकलीफ में हैं तो उसका कारण सिर्फ आप ही हैं, जीवन में महज ये संतोष कीजिये कि आपकी की गई कोशिश ईमानदार हो, बाकि छोड़ दीजिये वक्त पर. याद रखिये, स्वतंत्रता उनका भी संविधान सम्मत अधिकार है जो आपकी नाक में दम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते, फिर वे चाहे आपके ऑफिस वाले हों, तथाकथित शुभचिंतक हों या प्यारे-प्यारे परिवारजन.

Sunday, 5 July 2020

तप के आज कुंदन क्यों नहीं हो लेते हो

गौतम बुद्ध ने कहा था कि  आपको यदि कोई गाली देता है और आप उसे ग्रहण नहीं करते तो वो उसी के पास रह जाती है, अरे भाई राम का चरित्र भी न होता अगर उनके सामने रावण नहीं होता. मेरा ऐसा मानना है कि जो लोग हमारे काम को पसंद नहीं करते, उनसे ज्यादा महत्वपूर्ण वो लोग होते हैं जो हमारे काम को पसंद करते हैं, इसलिए अपने से घृणा करने वाले लोगों की परवाह करने की बजाय अपने सकारात्मक आलोचकों को महत्व दीजिये.


बक्शा उसने भगवान् नहीं, उसके वार से हत प्रभ क्यों होते हो
हज़ार लोगों ने पलके बिछाई, कुछ काँटों से चुभ राह छोड़ क्यों देते हो
ज़िन्दगी आग का दरिया है ऐ दोस्त, तप के आज कुंदन क्यों नहीं हो लेते हो