आपको स्वतंत्रता दिवस
की शुभकामनायें. क्या
आप भी उन्हीं देवियों और सज्जनों में हैं जिसकी
दुनिया में कोई
नहीं सुनता, इस
पावन अवसर पर
आज कुछ आपकी
और अपनी कहते
हैं और करते
हैं बात सदैव
प्रसन्न रहने की. जब
बार-बार समझाने
पर भी आपकी
बात कोई नहीं
सुनता तो स्वीकार करना
ही बेहतर है
की आप के
कहने से वो
बदलने वाला नहीं
है. इसको ऐसे
देखिये कि कुछ
लोग वक्त की
ठोकरें खा कर
ही सीखने को
अभिशप्त होते हैं या
वे आपकी योग्यता को
ही संदेह से
देखते हैं. 
सच यही है
कि आप तभी
किसी के लिए
कुछ कर सकते
हैं जब स्वयं
कोई चाहे, वर्ना
दूसरों को सुधारने में
ही आपकी जिंदगी
कहीं बेमायना होकर
रह जायेगी और
वैसे भी दुनिया
चढ़ते सूरज को
सलाम करती है
और लोग आप
को गलत कहने
के ढेरों बहाने
ढूंढ ही लेंगे.
आपके हिस्से में
रह जायेंगी कुछ
अदद बीमारियाँ और
ये जिंदगी, जिसे
जिंदगी कहना शायद
जिंदगी की तौहीन
होगा.
वास्तव में आप
यदि आप ऐसी
किसी तकलीफ में
हैं तो उसका
कारण सिर्फ आप
ही हैं, जीवन
में महज ये
संतोष कीजिये कि
आपकी की गई
कोशिश ईमानदार हो,
बाकि छोड़ दीजिये
वक्त पर. याद
रखिये, स्वतंत्रता उनका
भी संविधान सम्मत
अधिकार है जो
आपकी नाक में
दम करने का
कोई मौका नहीं
छोड़ते, फिर वे
चाहे आपके ऑफिस
वाले हों, तथाकथित शुभचिंतक हों
या प्यारे-प्यारे
परिवारजन.
जब भी घर में आर्थिक तंगी आती है या आपकी सामर्थ्य में कोई कमी सार्वजनिक होती है तो आपके आस-पास के लोगों का व्यवहार बदलने लगता है. कई बार ऐसे में अपनी योग्यता पर भी आदमी को शक होने लगता है और फिर शुरू होता है डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर और ना जाने क्या-क्या. जब किसी काम को करना ही है तो समाज सुधार के क्रियाकलापों से संबंधित सारे बोझ मन से दूर कर मस्ती से अपना काम कीजिये वर्ना चेहरे पर तो बारह बजेंगे ही और आप वक्त से पहले ही फिस्स हो जायेंगे.
जब भी घर में आर्थिक तंगी आती है या आपकी सामर्थ्य में कोई कमी सार्वजनिक होती है तो आपके आस-पास के लोगों का व्यवहार बदलने लगता है. कई बार ऐसे में अपनी योग्यता पर भी आदमी को शक होने लगता है और फिर शुरू होता है डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर और ना जाने क्या-क्या. जब किसी काम को करना ही है तो समाज सुधार के क्रियाकलापों से संबंधित सारे बोझ मन से दूर कर मस्ती से अपना काम कीजिये वर्ना चेहरे पर तो बारह बजेंगे ही और आप वक्त से पहले ही फिस्स हो जायेंगे.
बच्चों को जरा
ध्यान से देखिये,
वे 
इस  मामले  में 
हमें
काफी कुछ सिखा  सकते  हैं, ज्यादा बड़ी  ख़ुशी  के 
चक्कर  में  हम 
छोटी-छोटी खुशियां दरकिनार  कर 
देते  हैं जबकि
उनसे जीवन में
बहुत आनंदित रहा  जा सकता  है. गोली  मारिये सब
झंझटों 
को  और अपनी
जिंदगी 
का
पूरा 
आनंद  लीजिए, क्योंकि बच्चों
की ही तरह
हम 
भी
स्वतंत्र  हैं खुश  रहने  के लिए.
क्या ही अच्छा
हो यदि हमारे
क्रोध पर, कर्म
पर, हमारा नियंत्रण हो
जाये. रही बात
स्वतंत्रता की तो वह
हम सभी को
चाहिए, क्रोध करने
वालों को भी
और क्रोध दिलाने
वालों को भी.
हो भी क्यों
ना, आखिर स्वतंत्रता हमारा
संविधान सम्मत अधिकार है.
आप हमेशा खुश रहें और दुःख, क्रोध
तथा 
महंगाई  से स्वतंत्रता पा
सकें, 
ऐसी अभिलाषा के साथ पुनः आपको स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना.
ऐसी अभिलाषा के साथ पुनः आपको स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना.
 

