एक खबर को याद करके आँखें धुंधली हो जातीं हैं. आज मैं उसी घटना का ज़िक्र यहाँ करने जा रहा हूँ. जिसे मैं आज तक नहीं भूल सका हूँ. खबर राजस्थान की एक जेल की थी. जहाँ दो मासूम बच्चे अपने उन माँ-बाप की ग़लती की सज़ा काट रहे हैं, जो अपने वतन को प्यार करते थे. प्यार कैसा भी हो अंजाम अक्सर दुखद ही होता है. उन मासूमों के माँ-बाप भी इसी प्यार की भेंट चढ़े. उन बच्चों में एक लड़का है और एक उसकी छोटी बहन. ये दोनों बच्चे अपने माँ-बाप के साथ बांग्लादेश में आराम से रहते थे. जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ थीं. उनके माँ-बाप बांग्लादेश में रहते थे, लेकिन वे थे पाकिस्तानी, जो विस्थापित होकर यहाँ आए थे. उनके दिल की एक तमन्ना थी वे ज़िंदगी के बाकी दिन अपने वतन में गुज़ारें.
आख़िर वह दिन भी आ गया. उन्होंने अपनी ज़िंदगी भर की कमाई खर्च करके एक एजेंट से कहा की वह उनको बच्चों सहित पाकिस्तान पहुँचा दे. एजेंट ने इस काम के लिए उस बांग्लादेशी से 5 हज़ार रुपए लिए. उस दिन वह बहुत खुश था कि आज से ठीक 10 दिन बाद वह अपने वतन में होगा. एजेंट ने उसे मुंबई लाकर छोड़ दिया और एक दूसरे एजेंट से मिलवाकर कहा कि ये आदमी तुम्हें राजस्थान से बॉर्डर पार कराएगा. ये परिवार कुछ दिन तक मुंबई में रहा. उसके बाद एक दिन उस आदमी के साथ राजस्थान चल दिया. उस आदमी ने उस परिवार से 5 हज़ार रुपए और लिए.
कुछ ही देर में वे बॉर्डर के पार थे. अपने दोनों बच्चों को सीने से लगाए, जब उन्होंने अपने वतन की ज़मीन पर कदम रखे तो उनके आँसू निकल आए. जाने कितनी बार चूमा होगा उन्होंने अपने देश की माटी को. पर ये खुशी ज़्यादा देर नहीं रह सकी. उनको सीमा पार करते ही पाकिस्तानी फोर्स ने पकड़ लिया. उन्होंने बताया कि वे पाकिस्तानी हैं और बंगलादेश से आए हैं पर उनकी बात किसी ने नहीं सुनी. पति को जेल में डाल दिया गया. पत्नी को भी दूसरी जगह बंद कर दिया गया. बच्चों को कहीं और. उन पर आरोप लगाया गया कि वे हिन्दुस्तानी जासूस हैं. खैर, इसके बाद जो हुआ वह दिल दहला देने वाली घटना है. उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई. पत्नी के साथ फोर्स वालों ने बलात्कार किया. पति को मारा गया. ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा. एक दिन फोर्स का कोई बड़ा अधिकारी वहाँ आया और डर के मारे दोनों को छोड़ दिया गया. फोर्स के उन्हीं लोगों ने उनको सीमा पार भारत में भेज दिया जिन्होंने औरत के साथ बलात्कार किया था.
वे एक बार फिर से भारत में थे. रात का वक़्त था. चारों तरफ अंधेरा. बीच बीच में सिर्फ़ भारतीय फोर्स की सर्च लाइट दिखाई दे जाती. वे लोग उस अंधेरे में अपने बच्चों को लिए भाग रहे थे. डर था कि कहीं भारतीय फोर्स ना पकड़ ले. लेकिन वही हुआ जिसका डर था. फोर्स ने उन्हें देख लिया. फोर्स ने उन्हें चेतावनी दी कि वे रुक जाएँ वरना गोली चला देंगे. पर उन्हें याद आई पाकिस्तान में हुआ ज़ुल्म. इसलिए वे रुके नहीं भागते रहे. आख़िर में फोर्स ने गोली चला दी और दो लाशें बिछ गईं. उन लाशों के पास रह गए, दो बिलखते हुए मासूम. फोर्स उन दोनों को उठाकर ले आई. आज उन्हें भारतीय पुलिस से कोई तकलीफ़ नहीं है, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि आख़िर उनकी ग़लती क्या थी ?